Mahatma Gandhi Biography

                            
                        
                            महात्मा गाँधी की  जीवनी 









हेलो  दोस्तों महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम जिससे अरबो लोग प्रेरणा लेते है और दूसरे को भी शेयर करते हैं | 
महात्मा गाँधी एक ऐसा सख्शियत है जिसको महात्मा की उपाधि यूँ ही नहीं मिल गई वो कठिन परिश्रम ,वो त्याग जानें कितनो का अपना बना होगा | 

महात्मा गाँधी का जन्म 2 oct 1869  ई. को गुजरात के एक छोटे से गांव में हुआ था , उनके पिता का नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई गाँधी था | जब महात्मा गाँधी छोटे थे तो हमेसा अंग्रेजो को हिन्दुस्तानियो पर हमेशा जुल्म करते देखा करते थे , उसी समय से महात्मा गाँधी के मन में ये बैठ गया की बड़ा होकर मुझे अंग्रेजो को हिंदुस्तान से भागना है खैर महत्मा गाँधी इसी दौरान अपने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से अपनी शुरुआती पढाई पूरी को और हाई स्कूल राजकोट के एक सरकारी स्कूल से पास किये | 

अब आगे की पढाई करने के लिए महात्मा गाँधी एक लन्दन के यूनिवर्सिटी के स्कॉलरशिप के माध्यम से लन्दन चले गए , वहां जाकर वो वकालत की पढाई शुरू की और उसमे डिग्री हासिल की | 
महात्मा गाँधी लन्दन से पढाई करने के बाद १८९२ में भारत वापिस आ गए और यहाँ आने के बाद वो सत्याग्रह आंदोलन में लग गए ,इस दौरान बहुतों की संख्या में फ्रीडम फाइटर उनके साथ जुड़ने लगे इस आंदोलन के बाद उन्होंने (महात्मा गाँधी) ने नमक आंदोलन भी चलाया जो की अंग्रेजी हुकूमत  के क्रूर कानून के खिलाफ था | 

आगे चलकर महत्मा गाँधी ने अंग्रेजो को भागने के लिए असहयोग आंदोलन स्की शुरुआत की इस आंदोलन में गांधीजी के अलावा लाला लाजपत राय ,भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद और बटुकेश्वर दत्त जैसे बड़े -बड़े स्वतंत्र सेनानियों ने भाग लिए |  ये आंदोलन का मकसद था की हम सब भारतीय केवल अपनी भारतीय सामान (कपडे) ही ख़रीदे  जिससे अंग्रेजो की आय का स्रोत समाप्त हो जाये और वे देश (भारत ) छोड़कर बचाले जाये लेकिन  आंदोलन से पहले गाँधी जी ने कहा   था की ये आंदोलन बिलकुल शांति से होगा कोई भी हिंसा या बवाल इसमें नहीं होगा | 



आंदोलन शांति से चल ही रहा था की एक दिन अंग्रेजो ने लाला लाजपत राय को इतना मारा की उनकी मौत हो गई , इसके बाद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने  लाला लाजपत राय के मौत का बदला लेने की ठान ली और वे रणनीति  के तहत एक अंग्रेज अफसर को मार दिया इससे आहात होकर महात्मा गाँधी ने  असहयोग आंदोलन वापस ले लिया | 

इस आंदोलन के वापस लेते ही देश में दो तरह के गुट का जन्म हुआ एक गरम दल और एक नरम दल ,जो गरम दल  के थे वो भगत सिंह और चंद्रशेखर को ज्वाइन किये और जो नरम दल के थे वो गाँधी जी को ज्वाइन किये | 

हालाँकि इन सबके ही योगदानो से हमारा देश 15 Aug 1947 को आजाद हो गया | 

आजादी के कुछ दिन बाद ही 30 Jan 1948 को नाथूराम गोडसे नामक एक सख्स ने उनकी हत्या कर  दी  जिसको हम शहीद दिवस के रूप में हर साल मनाते  है |

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